बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों में शामिल रहेंगे.गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसायटी में हुए हत्याकांड के बारे में विशेष जांच दल की रिपोर्ट अहमदाबाद की एक अदालत में रखे जाने के कुछ देर बाद गडकरी ने यह बात कही. गडकरी ने कहा, ‘नरेन्द्र मोदी 2014 के लोकसभा चुनाव में हमारी पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों में एकदम शामिल हैं. अगर मोदी को क्लीन चिट (गुजरात दंगों के संदर्भ में) मिल जाती है तो इससे हमारी ही बात की पुष्टि होगी जो हम शुरू से कहते आ रहे हैं.’बीजेपी अध्यक्ष पहले भी मोदी को पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों में गिनाते आए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि गुजरात दंगों की जांच को लेकर केन्द्र ने सीबीआई का दुरूपयोग किया है. उन्होंने कहा कि कम से कम अब तो गुजरात सरकार को बदनाम करने की मुहिम बंद होनी चाहिए.उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों की विधानसभाओं के लिए हो रहे चुनाव के लिए बीजेपी की ओर से अभी तक मोदी के प्रचार मैदान से दूर रहने के संबंध में हालांकि पार्टी अध्यक्ष ने कुछ कहने से इनकार कर दिया.कहा जाता है कि मोदी अपने कट्टर विरोधी संजय जोशी को उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार का प्रभारी बनाए जाने से सख्त नाराज हैं. उधर बीजेपी प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने विशेष जांच दल के रिपोर्ट पेश किये जाने के समय पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि एक तो उत्तर प्रदेश में चुनाव चल रहे हैं, दूसरे अदालत में पेश सीलबंद रिपोर्ट के बारे में कांग्रेस नेता टिप्पणी कैसे कर सकते हैं.उन्होंने कहा, ‘एक राजनीतिक दल के रूप में हम इस रिपोर्ट को पेश किये जाने के समय को लेकर काफी चिंतित हैं. विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश के चुनाव के आलोक में, जिसकी प्रक्रिया अभी जारी है. हमें चिंता है कि कहीं इससे कोई अनावश्यक तनाव न फैल जाए.’ निर्मला ने कहा कि रिपोर्ट देखे बिना कांग्रेस नेता गुजरात सरकार के कामकाज पर टिप्पणी के लिए तैयार हैं. इससे पता चलता है कि वे जनता का विश्वास जीते बिना किसी भी कीमत पर गुजरात में सत्ता में आना चाहते हैं.उन्होंने कहा कि बीजेपी ने रिपोर्ट नहीं देखी है और उसे नहीं पता कि सीलबंद रिपोर्ट के बारे में अन्य लोग कैसे बोल रहे हैं. ‘मुझे नहीं पता कि रिपोर्ट की प्रतियां कौन हासिल कर रहा है और प्रतियां कैसे लीक हो रही हैं.’ निर्मला ने सरकार से उन मीडिया खबरों पर भी स्पष्टीकरण मांगा, जिनमें कहा गया है कि प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई का सामना कर रहे द्रमुक के दयानिधि मारन और वित्त मंत्री के बीच बैठक हुई है. ‘मुझे उम्मीद है कि वित्त मंत्रालय इस बारे में स्पष्टीकरण देगा कि बैठक में क्या हुआ।Thursday, 9 February 2012
पीएम बन सकते हैं, मोदी
बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों में शामिल रहेंगे.गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसायटी में हुए हत्याकांड के बारे में विशेष जांच दल की रिपोर्ट अहमदाबाद की एक अदालत में रखे जाने के कुछ देर बाद गडकरी ने यह बात कही. गडकरी ने कहा, ‘नरेन्द्र मोदी 2014 के लोकसभा चुनाव में हमारी पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों में एकदम शामिल हैं. अगर मोदी को क्लीन चिट (गुजरात दंगों के संदर्भ में) मिल जाती है तो इससे हमारी ही बात की पुष्टि होगी जो हम शुरू से कहते आ रहे हैं.’बीजेपी अध्यक्ष पहले भी मोदी को पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों में गिनाते आए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि गुजरात दंगों की जांच को लेकर केन्द्र ने सीबीआई का दुरूपयोग किया है. उन्होंने कहा कि कम से कम अब तो गुजरात सरकार को बदनाम करने की मुहिम बंद होनी चाहिए.उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों की विधानसभाओं के लिए हो रहे चुनाव के लिए बीजेपी की ओर से अभी तक मोदी के प्रचार मैदान से दूर रहने के संबंध में हालांकि पार्टी अध्यक्ष ने कुछ कहने से इनकार कर दिया.कहा जाता है कि मोदी अपने कट्टर विरोधी संजय जोशी को उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार का प्रभारी बनाए जाने से सख्त नाराज हैं. उधर बीजेपी प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने विशेष जांच दल के रिपोर्ट पेश किये जाने के समय पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि एक तो उत्तर प्रदेश में चुनाव चल रहे हैं, दूसरे अदालत में पेश सीलबंद रिपोर्ट के बारे में कांग्रेस नेता टिप्पणी कैसे कर सकते हैं.उन्होंने कहा, ‘एक राजनीतिक दल के रूप में हम इस रिपोर्ट को पेश किये जाने के समय को लेकर काफी चिंतित हैं. विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश के चुनाव के आलोक में, जिसकी प्रक्रिया अभी जारी है. हमें चिंता है कि कहीं इससे कोई अनावश्यक तनाव न फैल जाए.’ निर्मला ने कहा कि रिपोर्ट देखे बिना कांग्रेस नेता गुजरात सरकार के कामकाज पर टिप्पणी के लिए तैयार हैं. इससे पता चलता है कि वे जनता का विश्वास जीते बिना किसी भी कीमत पर गुजरात में सत्ता में आना चाहते हैं.उन्होंने कहा कि बीजेपी ने रिपोर्ट नहीं देखी है और उसे नहीं पता कि सीलबंद रिपोर्ट के बारे में अन्य लोग कैसे बोल रहे हैं. ‘मुझे नहीं पता कि रिपोर्ट की प्रतियां कौन हासिल कर रहा है और प्रतियां कैसे लीक हो रही हैं.’ निर्मला ने सरकार से उन मीडिया खबरों पर भी स्पष्टीकरण मांगा, जिनमें कहा गया है कि प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई का सामना कर रहे द्रमुक के दयानिधि मारन और वित्त मंत्री के बीच बैठक हुई है. ‘मुझे उम्मीद है कि वित्त मंत्रालय इस बारे में स्पष्टीकरण देगा कि बैठक में क्या हुआ।Tuesday, 7 February 2012
16 मार्च को आयेगा नया बजट

देश की अर्थव्यवस्था को दशा-दिशा देने वाला आम बजट व रेल बजट को पेश करने की तारीखें तय हो गई हैं.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी वित्त वर्ष 2012-13 का आम बजट 16 मार्च को लोकसभा में पेश करेंगे. राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के 12 मार्च को संसद के दोनों सदनों को संबोधन के साथ बजट सत्र की शुरुआत होगी. रेल बजट 14 मार्च को पेश होगा और 15 मार्च को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा.
संसदीय मामलों के मंत्री पवन कुमार बंसल इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा, ‘हम राष्ट्रपति से यह सिफारिश करने जा रहे हैं कि बजट सत्र 12 मार्च को बुलाया जाए और यह 30 मार्च तक चले. राष्ट्रपति का संबोधन 12 मार्च को होगा, रेल बजट 14 मार्च को और केंद्रीय बजट 16 मार्च को पेश होगा.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाली संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक के बाद बंसल ने संवाददाताओं से बातचीत में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि बजट सत्र का दूसरा हिस्सा 24 अप्रैल से 22 मई तक होगा.
बजट सत्र की शुरुआत आमतौर पर फरवरी के तीसरे सप्ताह से होती है. लेकिन इस साल उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बजट देर से पेश किया जाएगा. आदर्श आचार संहिता 9 मार्च तक लागू रहेगी.
Saturday, 4 February 2012
अभी संतुष्ट नहीं आडवाणी
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के प्रति संकल्प दोहराते हुए कहा है कि उनके जीवन में ‘समाधान’ तब तक नहीं हो सकता जब तक ‘रामनगरी’ में भव्य मंदिर की स्थापना नहीं हो जाती.आडवाणी ने अयोध्या में आयोजित जनसभा में कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को सोमनाथ मंदिर की तरह अयोध्या में भी मंदिर के निर्माण के लिये पहल करनी चाहिये थी. उन्होंने कहा, ‘मेरे राजनीतिक जीवन में तब तक समाधान नहीं हो सकता जब तक जिस स्थान पर भगवान राम की मूर्ति स्थापित है, वहां एक भव्य मंदिर नहीं बन जाता. मुझे विश्वास है कि देश में हर राम भक्त चाहेगा कि वह दिन जल्द से जल्द आए कि जिस जगह रामलला विराजमान हैं, वहां मंदिर बन जाए. राम मंदिर निर्माण नहीं हो जाने तक हमारी कोशिशें जारी रहेंगी.’ आडवाणी ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के सम्बन्धित तीनों न्यायाधीशों ने अपने निर्णय में माना है कि अयोध्या में जिस जगह रामलला विराजमान हैं वही रामजन्म स्थल है.उन्होंने कहा कि केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपानीत सरकार के कार्यकाल में अयोध्या विवाद के तीन समाधान दिखाई पड़ते थे, पहला, केन्द्र में भाजपा की सरकार हो और इस बात का निर्णय संसद से कराया जाए. दूसरा, अदालत निर्णय करे और तीसरा, हिन्दू-मुस्लिम नेता मिल बैठकर फैसला करें.आडवाणी ने कहा कि हिन्दू मुस्लिम बैठकर विवाद का फैसला करें, इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. उम्मीद है कि दूसरा और तीसरा समाधान मिलाकर काम हो जाएगा. बिना किसी टकराव और कटुता के यह काम होगा. दुनिया के राम भक्त देखेंगे कि राम मंदिर वहीं बनेगा, जहां उनकी मूर्ति है. वह इसी आशा के साथ यहां आए हैं. उन्होंने कहा कि ‘सोमनाथ’ तथा ‘पिलग्रिमेज टू फ्रीडम’ पुस्तकें पढ़ने के बाद उन्हें मालूम हुआ कि राम मंदिर निर्माण को लेकर जिस तरह की समस्या पैदा हुई, ऐसी ही समस्या पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में सोमनाथ के मंदिर को लेकर भी उत्पन्न हुई थी.आडवाणी ने कहा, ‘मुझे पता लगा कि आक्रमणकारियों ने सोमनाथ का जो मंदिर ध्वस्त किया था उसे फिर से बनाए जाने का निर्णय केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने किया था, जिसकी अध्यक्षता पंडित नेहरू ने की थी और उस बैठक में मौलाना मौजूद थे. साथ ही सरदार पटेल तथा के. मुंशी उस प्रस्ताव को रखने वाले अग्रणी लोगों में से थे.’उन्होंने कहा, ‘हिमाचल प्रदेश में जनसंघ की एक बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया था. हमारा मानना था कि जैसा रवैया उस वक्त पंडित नेहरू ने सोमनाथ मंदिर के बारे में अपनाया था. वहीं रुख तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को अयोध्या के मामले में भी अपनाना चाहिये था.’आडवाणी ने कहा कि राम मंदिर के लिये निकाली गयी रथयात्रा ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया. उन्होंने कहा, ‘आडवाणी ने अयोध्या के लिये कुछ नहीं किया. अयोध्या ने मेरे लिये बहुत कुछ किया. अयोध्या ने मुझे सांस्कृतिक राष्ट्रधर्म सिखाया. किसी भी विषय पर देश को जाग्रत करने के लिये रथयात्रा से बेहतर कोई रास्ता नहीं हो सकता.’आडवाणी ने विदेशी बैंकों में जमा कालेधन को भारत वापस लाने पर जोर देते हुए कहा कि अगर सरकार तथा नेता मिलकर रिश्वत ना लेने और ना ही देने एवं कालेधन को वापस लाकर गांवों का विकास करने का संकल्प लें तो देश की गरीबी मिट जाएगी. उन्होंने कहा कि विदेशी बैंकों में मुल्क का 25 लाख करोड़ रुपया रखा है.अगर यह देश में आ जाए तो देश का पूरा नक्शा बदला जा सकता है. उच्चतम न्यायालय द्वारा सेना प्रमुख उम्र विवाद तथा 2जी मामले में केन्द्र सरकार को झटके दिये जाने पर भाजपा नेता ने कहा कि यह सम्भवत: पहली ऐसी सरकार है, जिसे लगभग हर दिन न्यायालय की डांट सुननी पड़ती है. उन्होंने केन्द्र सरकार की नाकामियां गिनाते हुए कहा कि घोटालों के कारण दुनिया में हमारी इतनी बदनामी हुई है. इतने घोटाले हुए कि महंगाई चरम पर पहुंचे गयी. वाजपेयी सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण रखा था.आडवाणी ने कहा कि केन्द्र में भाजपा के शासनकाल में कच्छ में भूकम्प और पोखरण परमाणु परीक्षण के कारण अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद महंगाई नहीं बढ़ने दी. यह स्थिति आज इसलिये नहीं हो सकती क्योंकि सरकार भ्रष्टाचार को रोक नहीं पा रही है. मंत्री जेल जा रहे हैं.Thursday, 2 February 2012
चिदंबरम इस्तीफा दें: बीजेपी
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम के तत्काल इस्तीफे की मांग की.भाजपा नेता बलबीर पुंज ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'यदि सरकार में थोड़ी भी शिष्टता बाकी हैं तो उसे चिदम्बरम से तत्काल इस्तीफे की मांग करनी चाहिए.' उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री को तुरंत चिदम्बरम से इस्तीफा मांगना चाहिए और यदि वह इससे इनकार करते हैं तो उन्हें मंत्रिमंडल से निष्कासित कर देना चाहिए.'सर्वोच्च न्यायालय का पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा के कार्यकाल के दौरान दूरसंचार कम्पनियों को दिए गए 122 लाइसेंस रद्द करने का फैसला आने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में पुंज ने यह बात कही. जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर अदालत का यह फैसला आया.स्वामी की एक अन्य याचिका सुनवाई अदालत के पास है, जिसमें इस मामले में चिदम्बरम की भूमिका की जांच की मांग की गई है. 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के समय चिदम्बरम तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री थे. सर्वोच्च न्यायालय ने यह मामला निचली अदालत के पास छोड़ दिया है साथ ही कहा कि यदि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) चाहे तो वह मामले की जांच के लिए स्वतंत्र है.
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