Wednesday, 19 October 2011

हर कोई अन्ना नहीं

 

अन्ना हजारे  के  अनशन को देख पाकिस्तान में पाकिस्तान पुपिल पार्टी के नेता रजा जहांगीर ने नौ दिन तक अनशन किया जिसका पाकिस्तान सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा  

Tuesday, 11 October 2011

सत्ता परिवर्तन नहीं, व्यवस्था परिवर्तन चाहिए : आडवाणी

जनचेतना यात्रा से पहले भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने जनसभा को संबोधित किया। अपने संबोधन में आडवाणी ने कहा कि देश से भ्रष्टाचार मिटना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल सत्ता परिवर्तन नहीं व्यवस्था परिवर्तन होना चाहिए। उनका मानना है कि भ्रष्टाचार के कारण पूरे देश में लोगों में अनास्था है, विश्वास का अभाव है जिसे बदलने की जरूरत है। इसी माहौल को बदलने के लिए यात्रा निकालने की बात आडवाणी ने कही। देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए आडवाणी ने केंद्र की यूपीए सरकार को खूब कोसा और सरकार के नेतृत्व पर भी सवाल खड़े किए।

लोगों को संबोधित करते हुए आडवाणी ने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार में विकास किया। लोगों में विश्वास पैदा किया है। यही विश्वास लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के 15 वर्षों के कार्यकाल में कहीं खो गया था।

लालकृष्ण आडवाणी की भ्रष्टाचार के खिलाफ यात्रा आज से बिहार के सिताबदियारा से शुरू हुई। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हरी झंडी दिखाकर यात्रा आरंभ की हालांकि आडवाणी छपरा से अपने रथ पर सवार होंगे।

आज सुबह दिल्ली के अपने निवास से निकलकर हवाई जहाज से आडवाणी पहले पटना पहुंचे फिर वहां से हेलीकॉप्टर द्वारा सिताबदियारा पहुंचे। आडवाणी का साथ देने के लिए सुषमा स्वराज और अरुण जेटली भी मौके पर मौजूद रहे। आडवाणी की यात्रा को हरी झंडी दिखाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पहुंचे थे और वहां मौजूद जनसमूह को उन्होंने संबोधित भी किया। राज्य के उप मुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी भी मंच पर मौजूद रहे।

गौरतलब है कि देशभर में चल रही भ्रष्टाचार विरोधी बयार से बीजेपी समझ चुकी है कि अब उसे इसका राजनीतिक फायदा ज़रूर मिलेगा। यात्रा को हरी झंडी नीतीश कुमार दिखाएंगे।

दूसरी ओर, दिग्विजय सिह को लगता है कि तरह−तरह की यात्राएं महज चंदे के लिए हो रही हैं।

जानकारों का मानना है कि आडवाणी इस बात को लेकर बेहद सावधान हैं कि उनकी इस यात्रा पर पुरानी यात्रा का कोई दाग न पड़े। इसलिए उनका रथ 23 राज्यों और 4 केंद्र शासिक प्रदेशों में घूमेगा। लेकिन सोमनाथ नहीं जाएगा जहां से उनकी पिछली राम मंदिर यात्रा शुरू हुई थी। और, न ही अयोध्या की तरफ घूमेगा जहां उन्हें पिछली बार पहुंचना था।

इस बार वह जेपी के गांव सिताबदियारा से चल रहे हैं और उन्हें बीजेपी का कोई नेता नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी के विरोधी जेडीयू नेता नीतीश कुमार हरी झंडी दिखाने वाले हैं। इस यात्रा के पोस्टरों पर भी मोदी कहीं नहीं दिख रहे।

इत्तिफाक से टीम अन्ना का रवैया भी बीजेपी के लिए मददगार साबित हो रहा है। हिसार में टीम अन्ना कांग्रेस के ख़िलाफ़ वोट देने की अपील कर रही है। जाहिर है ये वोट दूसरे सबसे मज़बूत विकल्प यानी बीजेपी और जनहित कांग्रेस के गठजोड़ को ही मिलेंगे।

बीजेपी टीम अन्ना के आंदोलन को हाइजैक करने के लिए इतनी बेताब है कि जिस चुनाव में उसका अपना उम्मीदवार तक नहीं वहां नितिन गडकरी और सुषमा स्वराज जैसे नेता जाकर प्रचार कर रहे हैं। जाहिर है आडवाणी और बीजेपी ये साबित करने पर तुले हैं कि वे भी अन्ना की राह पर ही हैं, बल्कि अन्ना ही हैं।  शायद ये उनकी अपने करियर की सांझ में एक आख़िरी दांव खेलने की कोशिश है।